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| प्रतिमालेख/शिलालेख | प्राप्तिस्थान
सन्दर्भ ग्रन्थ
५६
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वि०सं० | तिथि/मिति । | प्रतिष्ठापक आचार्य
या मुनि का नाम १२१६ | वैशाख सुदि २ | नेमिचन्द्रसूरि
| के पट्टधर देवाचार्य
national
दीवाल पर उत्कीर्ण लेख | पार्श्वनाथ जिनालय,
आरासणा
| मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त,
लेखांक ४-९१
१८. १२२०
| आषाढ़ सुदि १० | श्रीसूरि
शांतिनाथ की प्रतिमा पर | चिन्तामणि जी का उत्कीर्ण लेख | मन्दिर, बीकानेर
अगरचन्द भंवरलाल नाहटा, सम्पा०बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ८४.
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१२२७
तिथिविहीन
| धनेश्वरसूरि
जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
वही, लेखांक ८९.
१२३४
वही, लेखांक ९१.
१२३६
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फाल्गुन वदि ३ | अभयदेवसूरि के शिष्य | पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर | नेमिनाथ जिनालय, गुरुवार | जिनभद्रसूरि एवं धनेश्वरसूरि | उत्कीर्ण लेख
आरासणा
| मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त, | परिशिष्ट, लेखांक १५.
। सोमप्रभसूरि
२१ ए/ १२३८ | माघ सुदि ३
शनिवार
पाषाण की मातृपट्टिका पर देवकुलिका क्र० ५५ | शंखेश्वरमहातीर्थ, लेखांक-९, उत्कीर्ण लेख | शंखेश्वर पार्श्वनाथ | पृ० १८४.
जिनालय, शंखेश्वर
२२] १२४५
वैशाख वदि ५ | यशोदेवसूरि गुरुवार के शिष्य देवचन्द्रसूरि
नेमिनाथ एवं अन्य तीर्थङ्करों | विमलवसही, आबू | मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, भाग २, | की प्रतिमा पर उत्कीर्ण
लेखांक १९२, १९५, २००, । लेख
२०४, २०५, २०७, २०८.
१२४९
ज्येष्ठ सुदि १० । मुनिरत्नसूरि
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पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर | वासुपूज्य जिनालय, | P.C. Parikha & Bharti Shelat, उत्कीर्ण लेख
शेखपाडो, अहमदाबाद| The Jain Image Inscriptions of
Ahmedabad. No. 2.
बृहद्गच्छ का इतिहास