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________________ बृहद्गच्छीय लेख समुच्चय २४५ (१६३) शांतिनाथ-पंचतीर्थी : ॐ ॥ संवत् १४९९ वर्षे सावण वदि २ शनिवारे मूलनक्षत्रे लोढ़ागोत्रे सा० महणसीह पुत्र सा० पन्ना नेना भार्या मुनी तत्पुत्र सा० खीमराज भ्रातृ करमसिंह निजमातृपितृश्रे० पुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंब का०प्रति० बृहद्गच्छे श्रीपद्माणंदसूरिभिः ॥ (१६४) कुन्थुनाथ-पंचतीर्थी : सं० १४९९ वर्षे माह सुदि ६ उपकेशज्ञातीयसूरोठागोत्रे सा० सिंगारदेव्याभ्यां निजपुण्यार्थं श्रीकुथुनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीबृहद्गच्छे श्रीअमरप्रभसूरिपट्टे श्रीसागरचंद्रसूरिभिः ।। (१६५) संभवनाथ-पंचतीर्थी : सं० १४९९ वर्षे फागुण वदि, २ गुरौ उपकेशज्ञाती० श्रीधरकटगोत्रे सा० हीरराज प्रसिद्धनाम सा० बगुला पुत्रेण सा० लाखा श्रावकेण भार्या गजसीरी पुत्र बलिराजयुतेन श्रीसंभवनाथबिंबं का०प्र० श्रीबृहद्गच्छे श्रीरत्नप्रभसूरिभिः।। (१६६) श्रेयांसनाथ-पंचतीर्थी : सं० १४९९ वर्षे फागुण वदि २ गुरौ उपकेशज्ञातीय वरहडीयागोत्रे सा० गोसल पुत्रेण सा० दुलहत द्वे० नाम राउलेन भा० हर्षमदे पु० अर्जुन सदारङ्ग सहितेन आत्मश्रे० श्रीश्रेयांसबिंबं का०प्र० बृहद्ग० श्रीरत्नप्रभसूरिभिः।। (१६७) आदिनाथः १. ॥ संवत् १५०० वर्षे मार्गशिर वदि २. २ शनौ ओसवाल ज्ञातीय श्रीनाह ३. र गोत्रे सा० मोहिलसुत सं० नयणा ४. तद्भार्या सं० कुंता नाम्न्यां स्वभर्तुः पु ५. ण्यार्थं श्रीआदिनाथ बिंबं कारितं प्र१६३. पार्श्वनाथ मंदिर, बूंदी, वही, भाग १, लेखांक ३२८. १६४. मनमोहन पार्श्वनाथ जी का मंदिर, खजुरीपाड़ा, पाटण, जै०धा०प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक २४६. १६५. प्रा०ले०सं०, लेखांक १७६ तथा नया मंदिर, जयपुर, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ३३२. १६६. आदिनाथ जिनालय, गागरडू, प्र०ले०सं०, भाग १, लेखांक ३३३. १६७. श्री गंगा गोल्डेन जुवली म्यूजियम, बीकानेर, बी० जे०ले०सं०, लेखांक २१५७. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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