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अध्याय-७
देवचन्द्रसूरि
पासचन्द्र (पार्श्वचन्द्रसूरि) (वि०सं० १४५९-१४६१) प्रतिमालेख
जयचन्द्रसूरि (वि०सं० १४८५-१५२६) प्रतिमालेख
(वि०सं० १५०४ में लिपिबद्ध पार्श्वनाथचरित में उल्लिखित)
भावचन्द्रसूरि (वि०सं० १५३५ शांतिनाथचरित) के कर्ता
जयरत्नसूरि (वि०सं० १५४७) प्रतिमालेख
चारित्रचन्द्रसूरि (वि०सं० १५३६) प्रतिमालेख
मुनिचन्द्रसूरि (वि० सं० १५५३-१५९१) प्रतिमालेख
जयराजसूरि
विद्यारत्नसूरि
विनयचन्द्रसूरि (वि०सं० १५५३ में
(वि०सं० १५७७ में (वि०सं० १५९८) मत्स्योदरदास के कर्ता) कूर्मापुत्रचरित्र के कर्ता) प्रतिमालेख सन्दर्भ १. जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास, भाग २, पृ. १०२३-१०४३॥
संवत् १५०३ वर्षे आसो वदि ४ गरौ श्रीपार्श्वनाथचरित्र पुस्तकं लिखापितमस्ति।। संवत् १५०४ वर्षे वैशाख सुदि षष्ठी भौमे श्री प्राग्वाट ज्ञातीय मं० धना भार्या धांधलदे पुत्र मं० मारू भार्या चमकू पितृ मातृ स्वश्रेयोऽर्थं श्रीपार्श्वनाथचरित्रपुस्तकं अलेषि।। श्रीभीमपल्लीय श्रीपूर्णिमापक्षे मुक्ष (मुख्य) श्रीपासचन्द्रसूरिपट्टे श्री ३ जयचन्द्रसूरिभिः प्रदत्त।। अमृतलाल मगनलाल शाह- संपा० श्रीप्रशस्ति संग्रह, अहमदाबाद वि०सं० १९९३, भाग २, पृ० १०. इति श्री श्री श्रीभावचन्द्रसरिविरचिते गद्यबंधे श्रीशांतिनाथचरिते द्वादशभववर्णनो नाम षष्टः प्रस्तावः।। H.R. Kapadia Ed. Descriptive Catalogue of Mss in the Govt. Mss deposited at the Bhandarkar Oriental Research Institute, Serial No. 27, B.O.R.I. Poona 1987 A.D. No. 733, pp. 118-119. पूनिम पक्ष मुनिचन्द्रसूरि राजा, तासु ससि जंयइ पइ जइराजा। पनर त्रिपन्न कीधु रास, भणइ गुणइ तेह पूरि आस।। मोहनलाल दलीचंद देसाई- जैन गूर्जर कविओ, भाग १, द्वितीय संस्करण, संपा० डॉ. जयन्त कोठारी, पृष्ठ २०३-२०४. इति श्रीपूर्णिमापक्षे भट्टारकश्रीमुनिचन्द्रसूरि - शिष्यमुनिविद्यारत्नविरचिते श्रीकुर्मापुत्रकेवलिचरित्रे शिवगतिवर्णनो नाम चतुर्थोल्लास: परिपूर्णस्तत्परिपूर्णोपरिपूर्णतामभजतायमपि ग्रन्थ इति भद्रम्।। A.P.Shah - Catalogue of Sanskrit and Prakit Mss: Muni Shree Punya Vijayajis Collection, Part II, pp. 300-302.
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