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| आनन्द प्रवचन : ग्यारहवाँ भाग
0 प्रकाशक
श्री रत्न जैन पुस्तकालय बुरुड़गांव रोड पो० अहमदनगर (महाराष्ट्र)
● प्रथमबार :
फरवरी १९८१ वि० सं० २०३७ माघ वीर निर्वाण सं० २५०८
0 पृष्ठ ३७२
0 प्रथम संस्करण
२२०० प्रतियाँ
- मुद्रक
श्रीचन्द सुराना के लिए विजय आर्ट प्रिंटर्स, आगरा
मूल्य-बीस रुपये मात्र
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