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आचार्य प्रवर के प्रवचनों का यह एक सुन्दर सारपूर्ण संग्रह है। 'गौतम कुलक' स्वयं में एक चिन्तन-मनन की मणिमुक्ताओं का भंडार है। उसका प्रत्येक चरण एक जीवन सूत्र है, अनुभूति का मार्मिक कोष है। और उस पर आचार्य श्री के विचार-प्रधान प्रवचन !
इन प्रवचनों में श्रद्धय आचार्य श्री का दीर्घकालीन अनुभव, शास्त्रीय अध्ययन-अनुशीलन, वेद, उपनिषद्-गीता-पूराण-कूरान-बाईबिल आदि धर्म ग्रन्थों का मनन-चिन्तन तथा सैंकड़ों भारतीय एवं भारतीयेतर कवियों, चिन्तकों, साहित्यकारों के व्यापक उदात्त विचारों का पारायण पद-पद पर मुखरित हो रहा है। साथ ही सैकड़ों शास्त्रीय, पौराणिक, ऐतिहासिक रूपक, कथानक तथा जीवन संस्मरणों से विषय को बहुत ही स्पष्ट व अनुभूतिगम्य बनाया गया है।
इन प्रवचनों का सम्पादन किया है :प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीचन्द जी सूराना 'सरस' ने। सम्पादन बड़ा ही सरस, विद्वत्तापूर्ण तथा जन-जन को बोधगम्य शैली में हुआ है।
-देवेन्द्रमुनि शास्त्री
मूल्य-बीस रुपये मात्र
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