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क्रुद्ध कुशील पाता है अकीर्ति ९७
कीति चाहते हैं तो कीर्तिपात्र बनें लोग कीर्ति तो चाहते हैं पर कीति के पात्र बनने के लिए जिन सदाचारों, सद्गुणों और सत्कार्यों की आवश्यकता है, उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं। इसीलिए एक कवि ने कहा
पुण्यस्य फलमिच्छन्ति पुण्यं नेच्छन्ति मानवाः ।
फलं पापस्य नेच्छन्ति, पापं कुर्वन्ति यत्नतः ॥ लोग पुण्य का फल (यश-कीर्ति, सुख-सुविधा आदि) तो चाहते हैं, परन्तु पुण्योपार्जन करने के लिए जिस सामग्री की जरूरत है, उसे जीवन में नहीं अपनाते । पाप नहीं चाहते, परन्तु पाप धड़ल्ले के साथ करते रहते हैं।
यश, कीर्ति, नामवरी या सम्मान प्राप्त करने की अभिलाषा प्रायः प्रत्येक मनुष्य में ज्ञात-अज्ञात रूप से होती है। किन्तु जिन सत्कार्यों या आचरणों से यह सब मिलना सम्भव होता है, उन्हें करने के लिए बहुत कम लोग राजी होते हैं । झूठी कीर्ति या प्रतिष्ठा के लोभी व्यक्तियों को बहुत अधिक प्रयत्न करने पर भी अन्त में असफलता ही हाथ लगती है। जिस योग्यता से यश, कीर्ति या प्रतिष्ठा मिलती है, उसे बढ़ाया न जाए तो यह महत्त्वाकांक्षा अधूरी ही बनी रहेगी! उचित योग्यता के अभाव में भला किसी को कीर्ति या प्रतिष्ठा मिली है ?
__ यह एक माना हुआ तथ्य है कि संसार की व्यवस्था विनिमय के आधार पर चलती है । एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु मिलती है। रुपया देने पर आपको उसके बदले में खाद्य, वस्त्र आदि अभीष्ट वस्तुएं मिलती हैं। श्रम और योग्यता के बदले में कुछ मिलता है । निष्क्रिय होकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहकर किसी वस्तु की कामना करना बालबुद्धि का परिचायक है। उचित मूल्य चुकाये बिना इस संसार में कुछ भी नहीं मिलता। प्रकृति के इस नियम का उल्लंघन हम और आप कदापि नहीं कर सकते । अतः सीधा-सा उपाय यह है कि जो वस्तु आप प्राप्त करना चाहते हैं, वैसी योग्यता और क्षमता भी प्राप्त करिए। अयोग्य व्यक्ति की कामनाएँ वन्ध्या की पुत्र-कामनावत् असफल रहती हैं।
अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी प्रतिष्ठा करें, आपको सम्मानित करें, आपकी सर्वत्र प्रशंसा और नामावरी हो, आपकी कीर्ति सर्वत्र फैले तो आपको उन आदरणीय कीर्तिपात्र पुरुषों की विशेषताओं का अध्ययन करना होगा, जिन गुणों के आधार पर लोग कीर्ति और प्रतिष्ठा के पात्र माने जाते हैं, उनका अनुसरण करेंगे तो आपको भी कीर्ति और प्रतिष्ठा मिलेगी। सम्मान और बड़प्पन आपको अनायास ही प्राप्त होगा।
इसके विपरीत आप बाहरी टीपटाप के द्वारा जनता को भ्रान्ति में डालकर कीर्ति या प्रतिष्ठा पाने की कामना करेंगे तो मँहगा मोल चुकाकर भी आपके हाथ
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