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क्रोधीजन सुख नहीं पाते २४५
शास्त्र में क्रोध उत्पन्न होने के ४ प्रकार बताये हैं(१) आत्मप्रतिष्ठित - अपने आप पर होने वाला, (२) पर प्रतिष्ठित — दूसरों के निमित्त से होने वाला, (३) तदुभय प्रतिष्ठित,
(४) अप्रतिष्ठित - निमित्त के बिना ही उत्पन्न होने वाला ।
क्रोध पर विजय पाना ही सुख-शान्ति का कारण
क्रोध को शान्तिपूर्वक सहने से अनेक लाभ हैं । क्रोध आने पर मनुष्य को एकदम चुप और शान्त होकर बैठ जाना चाहिए। प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो को जब भी क्रोध आता, वह चुपचाप बैठ जाता, और उसके कारणों पर विचार करता था । पाश्चात्य विचारक सेनेका ने क्रोध का इलाज विलम्ब बताया है
"The greatest remedy for anger is dalay."
ata का सबसे बड़ा उपचार विलम्ब करना है । जब क्रोध आए तब चुपचाप शान्ति से बैठ जाओ। उस समय कुछ न बोलो, न लिखो, न जवाब दो । कन्फ्युशियस के मतानुसार क्रोध आने पर उसके कारणों पर विचार करो । जेफरसन ने भी यही कहा है
"When angry,
Count ten before you speak; if very angry,
Count a hundred."
" जब तुम गुस्से में हो, तब बोलने से पहले १० तक गिनो, अगर तुम बहुत ही गुस्से में हो तो सौ संख्या तक गिनो ।”
शास्त्र में कहा है – 'कोहं असच्चं कुव्विज्जा' क्रोध को विफल वैसे तो जो क्रोध करता ही नहीं वह महान होता है, लेकिन वह भी महान जो क्रोध को विफल कर देता है । क्रोध की विफलता के ४ चार सूत्र हैं
(१) जहाँ क्रोध आए, वहाँ से उठकर एकान्त में चले जाना
(२) मौन हो जाना
(३) किसी काम में लग जाना
(४) एक-दो क्षण के लिए श्वास को रोक लेना ।
क्रोध का शमन करने के कुछ और भी उपाय हैं— जैसे
(१) प्रतिज्ञा कर लीजिए कि "अपने दुश्मन क्रोध को पास भी न फटकने दूंगा। जब आएगा तो उसका कठोरता से प्रतिकार करूंगा ।"
बना दो । होता है,
(२) उक्त वाक्यों को लिखकर ऐसी जगह टांग दीजिए, जहाँ आपकी निगाह पड़ती रहे ।
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(३) जब क्रोध आए तो अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण करिए और कुछ न कुछ दण्ड लीजिए ।
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