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प्रस्तुत कृति : विद्वानों की दृष्टि में
"आनन्द प्रवचन' को पढ़ते हुए सचमुच में एक आनन्दानुभूति होती है। इन प्रवचनों के माध्यम से भक्ति, त्याग, वैराग्य सद्भाव तथा कुसंस्कारिता की सुगंध समाज को मिलती
-मधुकर मुनि
श्रद्धेय आचार्य प्रवर के प्रवचनों में जीवन का गहरा बोध रहता है। उनमें किसी भी व्यक्ति, संप्रदाय एवं धर्म के प्रति किसी प्रकार का आक्षेप तथा विशेष नहीं रहता, अप्ति समत्व, प्रेम एवं एकता का मधुर घोष रहता है। उनके प्रवचन जीवन को पवित्र तथा आत्मा को उन्नत बनाने वाले हैं। सामाजिक विषमताओं को दूर कर ससंस्कार तथा भातृभाव का विकास करने वाले हैं।
-महासती उमरावकंवर 'अर्चना'
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