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________________ उत्तमपुरुष के लक्षण धर्म प्रेमी बंधुओ, माताओ एवं बहनो ! . आज मैं आपको सच्चे पुरुष के लक्षण बताने जा रहा हूँ। संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार पुरुष के पांच लक्षण होते हैं। वे इस प्रकार हैं पात्र त्यागी, गुणे रागी, भोगी परिजनःसह । शास्त्रे बोद्धा रणे योद्धा, पुरुष: पंचलक्षणः । अर्थात्-जो व्यक्ति सुपात्र को दान देता हो, सद्गुणों के प्रति अनुराग रखता हो, अपने परिजनों के साथ ही आनन्द का अनुभव करता हो, शास्त्रों का जानकार हो तथा युद्ध के समय शूरवीरता से लड़ता हो वही सच्चा पुरुष कहलाता है। (१) पात्र त्यागी श्लोक में सत्पुरुष का प्रथम लक्षण बताया गया है कि वह सुपात्र के लिए त्याग करने वाला हो, अर्थात् सुपात्र को दान देने वाला हो । दान देने के लिए मनुष्य को त्याग अवश्य करना होगा। इसके बिना धन के प्रति उसकी आसक्ति कदापि कम नहीं होगी। फिर भी त्याग और दान में अन्तर है, जिसे सावधानी से समझना चाहिए। __ त्याग और दान को साधारणतया लोग एक ही अर्थ में ले लेते हैं पर बारीकी के जाँच करने पर दोनों में जो फर्क है वह मालूम पड़ जाता है वह फर्क इसप्रकार है कि त्याग मनुष्य के अंतःकरण की चीज है और दान ऊपरी । दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि त्याग पीने की दबा है और दान शरीर पर लेप करने की। त्याग में आत्मा की संतुष्टि है और दान में कुल और नाम का लिहाज । त्याग पापों की जड़ों को नष्ट करने वाला है और दान पुण्योपार्जन का साधन । त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से पाप का ब्याज । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004007
Book TitleAnand Pravachan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1974
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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