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मेरा सौभाग्य है कि मुझे 'आनन्द प्रवचन' के चारों भागों में संकलित प्रवचनों के सम्पादन का सुअवसर मिला है और इसी वजह से मैंने आपके प्रत्येक वाक्य तथा प्रत्येक शब्द की मधुरिमा तथा महत्ता को गहराई से समझा है । मेरा मन यही कहता है कि ये प्रवचन निश्चय ही व्यक्ति की आत्मिक उन्नति में पूर्णतया सहायक बन सकते हैं ।
अंत में मैं 'आनन्द-प्रवचन' के पाठकों के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित करती हूँ, जिन्होंने मेरे सम्पादन कार्य की सराहना करके मेरे उत्साह को उत्तरोत्तर बढ़ाया है । आशा है भविष्य में भी उनसे मुझे इसी प्रकार प्रेरणा मिलती रहेगी और मैं अपने कार्य में सफलता हासिल कर सकूँगी ।
-कमला जैन 'जीजी' एम० ए०
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