________________
वर्णी वाणी
२९६
है । वह जानता है कि संसार में जोवकी जो वध अवस्थाऐं हो रही हैं उनका कारण कर्म , इसलिये वह किसी को नीचा ऊँचा नहीं मानता वह सब में समभाव धारण करता है। ___ संसार, संसार के कारण, आत्मा और परमात्मा आदि में
आस्तिक्य भाव का होना ही आस्तिक्य गुण है। यह गुण भी सम्यग्दृष्टि के हो प्रकट होता है, इसके बिना पूर्ण स्वतन्त्रता को प्राति के लिये उद्योग कर सकना असम्भव है।।
ये ऐसे गुण हैं जो सम्यग्दर्शन के सहचारी हैं और मिथ्यात्य तथा अनन्तानुबन्धी कपाय के अभाव में होते हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org