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जड़वाद की उपासना कर अपने को धन्य मान लेते हैं । रात्रि के समय सिनेमा आदि का प्रदर्शन कर अपने कुटुम्ब को कुमार्ग में लगाकर प्रसन्न हो जाते हैं अपनी स्त्री के साथ नाना प्रकार की मिथ्या गल्प कर भाँड़ों जैसी लीलाकर रात्रि व्यतीत करते हैं। इस प्रकार आजन्म इसी चक्र में फंसे हुए जाल में फँसी मकड़ी की तरह सांसारिक जाल में अपनी जीवन लीला समाप्त करते हैं।
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