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________________ 176 अत्यंत रभू एहि यणियएहि य दोहि समयमाईह । वयणविसेसाईयं दव्वमवत्तव्वयं पडइ ॥ ३६॥ अह देसो सम्भावे देसो ! सन्भावपज्जवे जियओ । तं दवियमत्थि णत्थि य आएसविसेसियं जम्हा ॥ ३७ ॥ सम्भावे आइट्ठो देसो देसो य उभयहा जस्स । तं अस्थि अवत्तव्वं च होइ दवियं वियप्पवसा ॥ ३८ ॥ आइट्ठो सम्भावे देसो देसो य उभयहा जस्स । तं णत्थि अवत्तव्वं च होइ दवियं वियप्पवसा ॥ ३९ ॥ सन्भावास भावे देसो देसो य उभयहा जस्स । तं अस्थि णत्थि अवत्तव्वयं च दवियं वियप्पवसा ॥ ४० ॥ 2 5 एवं सत्तवियप्पो वयणपहो होइ अत्थपज्जाए । वंजणपज्जा पुण सवियप्पो गिव्वियप्पो य ॥ ४१ ॥ जह दवियमप्पियं तं तहेव अस्थि त्ति पज्जवणयस्स । यससमय पण्णवणा 4 पज्जवणयमेत्तपडिपुण्णा ॥ ४२ ॥ disguणजोवणगुणो जह लज्जइ बालभावचरिएण । कुणइ य गुणपणिहाणं अणागयसुहोवहाणत्थं ॥ ४३ ॥ णय होइ जोव्वणत्थो वालो अण्णो वि लज्जइ ण तेण । वि य अणागयवयगुणपसाहणं जुज्जइ विभत्ते ' ॥ ४४ ॥ जाइकुलरूवलक्खणसण्णासंबंधओ अहिगयस्स । बालाभावदिट्ठविगयस्स जह तस्स संबंधो ॥ ४५ ॥ तेहि 7 अइयाणागय दो सगुणदुर्गुछणबभूवगमेहिं । तह बंधमोक्खसुदुवखपत्थणा होइ जीवस्स ॥ ४६॥ ' अण्णोष्णाणुयाणं इमं व तं व त्ति 8 विभूयणमजुत्तं । जह दुद्धपाणियाणं जावंत विसेसपज्जाया ॥ ४७ ॥ 1) B देसा सब्भाब. 2 ) B णत्थवत्तव्वयं. 3) A उण. 4) B य समयपन्नवणा. 5) B चरिएहि. 6) B विभत्तो. 7 ) A अतीताणागय, B अइआ. च तं चत्ति. 8) B इम Jain Education International सम्मइसुत्तं, १ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003992
Book TitleNyayavatara and Nayakarnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddhasena Divakar, Vinayvijay, A N Upadhye
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1971
Total Pages376
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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