SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुमतिजिनस्तवन ३७ जाए एटले व तथापरएबेनोजाए पएतदात्मटा कहेतां तन्मय्यपणे रसो जे पोतानो सत्ताधर्म तेहनारसी कहेतारसीयाबो खाखादीबो एटलेजा गखपरबेनाबो पणभोगीच्यात्मधर्मनाको इहांको केहेसे जे जाएंगबे नोबे तो भोगीबेनोकेमनथी तेनेकहेवो जे परभावमध्ये भोगधर्मनथी माटेच्यात्मापरभावनोनोगी नथ खभोगीजबे परदे रोजे धर्मते भोग वायनही स्वक्षेत्रीधर्मभोगवाय बलिप्रभुतुमारी अनंतिसक्तिबे तेसकर्मा जीवन सर्वसक्किदबाबे तुमेसाध्यसाधक नावकरीने सर्वकर्मपमलनेद लवेकरीने सर्वसक्तिप्रगट करी बेच्ने ते सर्वसक्तिनी भिन्नभिन्नप्रवर्तिने ते सर्वसक्तिनेप्रयुंयताबो एटले सर्वकर्तृत्व भोगतृत्व ग्यायकत्व परिणामी कत्व ग्राहकत्व आधारत्वादिसक्तिप्रवर्त्तेबे पणकोईस क्तिच्चणप्रवर्तीरहे तीनथी पणनप्रयोगीकहेतां सक्तिपवर्तावता को जातिनोप्रयोग कहेतां प्रयास उद्यम विकल्प करवोनथी एटले सर्वसक्ति सहेजे प्रवतें वे ॥ इति ॥ ४ ॥ वस्तु निजपरिएते सर्वपरणामकी ।।तेतले कोइ प्रभुतानपामे ॥ करेजाणेरमेच्छानुनवतेप्रनु ॥ तत्व सामित्व सुचितत्वधामे ॥ अ० ॥ ५ ॥ अर्थ || हवेवस्तु के जीवादिपदार्थते निजपरिणते के० पोतानी स्यादपरिणति सर्व के समस्तव्य परिणामकी के परिणामी बेटले नित्यानित्यादिकधर्मपले सर्वव्य परिणामबे पण तेथीको परमेश्वरपणोनपाने सर्वव्य साधारणधर्मी माटेएमसी अधिकार तेट 0 ० . ले के एथी कोइ के० हरेकव्यते प्रभुता के० मोटाइप नपामे के० पानही तोकेमपामे तेकहबे करे के पोतानाधर्म नेकर्तापले करे एटले बीज अजीवादिपांचव्य तेसर्व उत्पादव्ययभुवपणे परमे कर्तानथ अनेजीवsव्यकर्ता तेस्यामाटेजे बीजासर्वऽव्यना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003991
Book TitleDevchandraji krut Chovishi Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy