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________________ चेतन्यकर्मचरित्र अरिलबंद॥ . रागवेषः मित्रजियेतवबोलकें। तुमल्यावहूंमेरीफोजसर्वत्रैखोलके॥ घीसाठअसवारवमेसबसुरमा। अरोपैटोंचलेजाहेनदीयोपूरमां ॥१॥ रागषतिहांचले जिहांसबसूररहे। ल्याएतुरतबुलाएअनुएहहजुरहे ॥ त बबोले सुखबैनजीवकपरहमचढे।सुनिकेश्रवणनिशब्दसूरकेमनवढे॥२॥ फोजोंकिनीचारचढेविस्तारसों ॥निजसेवक सिरदारकियेनुजनारसों ॥ पहिलीफोजेसातसुनटआगेचले ॥उजीफोजेचारचारतेसबनले ॥३॥ वेदहांसातवसबचढेजिहांचेतनबसे॥ आएपूरकेपासनांगेकोधसे ॥चे तनकोगढजोरदेखीसबथरहरे ॥सातसुनटतबनिकसिंसबआगेअरे॥४॥ ॥दोहा॥ उदैजासुस सुधिमोहकी ॥ कहीजीवजाय ॥ कहारहेतुमबेटके ॥ फोजालागीआय ॥१॥ ॥सोरग ॥ लीनोझानबूलाय ॥ कहोमित्रक्याकिजीयें।। सुनिकेचेतनराट । चित्तचमक्योकीजेकहा ॥ १॥ तवबोल्योझान। इनसौतोल रियोंस हि। हरीयेश्नकोमांन ॥ अपनीफोजस जिकरि ॥ ॥ ॥चोपाई॥ - तवचेतनबोले मुखबीर ॥ तुमसें मेरेवमेवजीर ॥ तोमोकोंचिंत्ताकबु नाहिं । निश्चेराजकरंजगमांहिं ॥ १ ॥ इनफोजकरोतैयार ॥ स रखमेसंगलेहोउँकार ॥ तबेंज्ञांनसबसूरबूलाटा ॥ कहेहूंकमयोंचेतन राठा ॥ २ ॥ व्हैतैयारगहोहथियार ॥ कर्मसोंचबकरनीहेमार ॥ सुनी केसूरखूसीअतीनये | अंतरमुहूर्तमें सजीधये ॥ ३॥ ले हुंबुल्लाएझां नवजीर ॥कैसेसु नटबनेसबवीर ॥ तबेंझानदेखेसबसैन ॥ कौनकौन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003991
Book TitleDevchandraji krut Chovishi Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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