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________________ 150 पांचभावनानोस्तवन सदासद्भावेपरणम्या ॥तुमे०॥मुक्तसकलनन्माद॥नवि०॥१२॥ तपजप किरियाखपथकी ॥ तुमे ॥ अष्टकरमनविलाटा ॥ नवि०॥ तेस हुआ तमध्यानी ॥ तुमे ॥ दिणमेखेरुथाय ॥ नवि० ॥१३॥ सुधातम अनुनकविना ॥ तुमे० ॥ बंधहेतुशुनचालि ॥ नवि०॥ आतमपरणामे रहा ॥ तुमे ॥ एहजाश्रवपालि ॥ नाव ० ॥ १४॥ एमजापानिज आतमा || तुमे० ॥ वरजीसकलनपाधि ॥ नवि० ॥ उपादेययविलं बने ॥ तुमे ॥ परममहोदयसाधि ॥ नवि० १५ ॥ भरतएलासुततेत लि. ॥ तुमे० ॥ इत्यादिकमुनिद ॥नवि !! आतमध्यानथाएतत्या। तुमे ॥ प्रणमतेदेवचंद ॥ नवि० ॥ १६ ॥ ॥ ढाल ॥६॥जी॥ सैलगसेत्रजेसिक्षा ॥ एदेशी। भावनामुक्ति निसाणीजाणी || नाबोआसतिआणीजी॥योगकषाय कपटनीहाणी ॥ थायनिर्मलजाणीजी ॥ भा० ॥१॥ पंचभावनएमुनी मननाणी॥ संवरखांणिवखाणीजी॥रहकल्पसुत्रनीवाणी ॥ दीवीतेमक हाणीजी । ना०॥ २॥ कर्मकतरणीशिवनिसरणी ॥जाणवाणअनुसरणी जी ॥ चेतनरामतणाबरण | नवसमुःखहरणीजी ॥ना ॥ ३ ॥ जव्यवंतापाठकगुणधारी॥राजसारसुविचारीजी ॥ निर्मल झानधर्मसंभा पाठकसहुहितकारीजी ॥ भा० ॥ ४ ॥ राजहंससुहगुरुमुपसाटो ॥ देवचंचमगावेजी॥ नविकजीवजेनावननावे॥ तेहयमितसुखपावेजी। मा० ॥ ५॥ जेसलमेरेसाहसनागी ॥ वर्धमानवमनागीजी ॥ पुत्रकल त्रसकलसोनागी ॥ साधुगुणनोरागीजी ॥ना ॥६॥ तसुआग्रहथीना वनानाइ ॥ ढालबंधमेगाइजी ॥ नणसे गणसेजेएगाता॥ ले शेते सुखशा ताजी ॥ ना० ॥ ७ ॥ मनसुधपांचेनावननावो ॥ पावननिजगुणपा वोजी ॥ मनमुनीवरगुण संगवसावो ॥ सुखसंपतिग्रहथावोजी ॥ ना ॥ ७ ॥ इतिश्रीसाधुनीपांचमाहानावनासंपूर्ण ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003991
Book TitleDevchandraji krut Chovishi Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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