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________________ १५६ देचो बा० त्ताधर्मनो निमित्तकारण श्रीअरिहंतादिक ने कारणपदनोनयनथवे एटले उपादान अधीकधीककारणतापामे ते कारणपर्यायनो लान ते संप्रदानजाणवो जे उपादानकारणमां नवानवाकारणपर्यायपामे ते संपदानकारककहिये अथवा कार्यनानवानवा पर्यायनोप्रगटथवो ते संप्रदानकहिये एटले कार्टापदनोनवनतेसंपदानकहिये अने पाला कारणपर्यायनो व्यटाके ० विनास तेअपादानकारककहिये जारणकार पर्यायनोनास नव्यकारण तानोनीपजवो ते रीतेकार्यनीनिष्पति । इतिसप्तमगाथार्थ ॥ ७॥ नवननवनव्ययविणुकारजनविहोवेरे॥जि मद्दषदेंनघटत्व ॥सुवाधारसुवाधारसुगुणनो व्यबेरे । सत्ताधारसुतत्व ।। न० ॥ ७ ॥ अर्थ | कोश्कहेसे संपदानतथाअपादानतेहने साकारणता तेह नेउत्तर जे भवन के नवापर्यायानोथवो व्यय के पूर्वपर्यायनाना स एथयाविनाकार्यनीपज़ेनही जेममाटीनोपिम तेपिमपर्यायनोव्यय स्थासपर्यायनोनवन तथास्थासपर्याटानोव्यटा कोसपर्यायनोनवन कोसपर्यायनोव्या कुसल पर्यायनोनवन कुसलपर्यायानोव्यय कपा लपर्याटानोनवन कपाल पर्यायनाव्यय वटपर्याटानोनवन एरीतेका र्यनीनत्पत्ति तेमसिछतानेविषे मिथ्यात्वपर्यायनोव्यय सम्यकपर्या यनोभवन तेहनासाधकपर्यायनोजीरणनोव्यटा नवानोनत्पाद एरीते कार्यनीनीष्पत्ति परंतुनवन तथाव्ययाविनाकार्यथायनही जेमदृषद नेविषेघटपणोनथाटा टाद्यपिक चकादिक व्यापारकरतोपणदृषदपाषा णनोघटनथाटा स्यामाटेजे दृषदपाषाणनेविषे स्थासादिघटपर्याटानो न वनव्ययपणोनयी तेमाटेनोपजेनही हवेतोबाधारकारककहेले खगु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003991
Book TitleDevchandraji krut Chovishi Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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