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________________ नाणा ] [ १२९ तिथौ। शनिवारे। श्रीवैद्यगोत्रे श्रीसवियाविगोत्रजा मंत्रीश्वर त्रिभुवन ततपुर त्पु)त्र पूना तत्पुत्र मुहता दादा तत्पुत्र मु० घेतसी तत्पुत्र मुहता नीसल १ राइमल २ नीसलपुत्र मुहता श्रीउरजन तत्पुत्र मुहता पता गढसि गणेषा कोकश मृता पता पुत्र मुहता नाराइण १ सादूल २ सूजा ३ शिंघा ४ सहसा ५ मुहता श्रीनाराइण उशणा श्रीअमरसिंघजी मयावीरनै गाम नाणो दीधो मुहते नाराइण अरहट १ साइरावो देवश्रीमहावीरनुः सतरभेदपूजा सारकेसर दीवेल सारू दीधो। हीदू गावरो धणी उथा तीयेनुं गाइरो समः तुरक उथा तीयेनुं सूवररो सूमः कने रजपूत तको जथापेजोः जको गाव नाणारो चद्दीयो गांव नीबलाणै फु छै: बीजा सिवाणइ जाए नइ गाव बहिन १ वेटीयां छुऊदैः तको उथापजो बीजो जे उथापसी तिणनुं गादहडे गाल छै: मुहता श्रीनाराइण भार्या नवरंगदे तत्पुत्र प्रथीराज १ दूजणसल्ल २ रामदाश ३। लषमीदास ४ पुत्री इंद्रावती ५ नाराइण द्विती[य]भार्या नवलादे पुत्र जयवंत १ सहित ॥ श्रीउवएसगछे( च्छे) भटा(ट्टा)रक श्रीसिंहसूरिविद्यमान। वा० श्रीन्या(ज्ञा नसुंदरशिष्य चांपा लिष(खि)तं ।। ए छहंद उ० जको भिसयइ अथवा भिसलावे तिणनुं त्रिणे ३ भवणर्नु पाप छइ ॥ कल्याणं ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003989
Book TitleArbudachal Pradkshina Jain Lekh Sandohe Abu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1949
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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