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________________ हमीरगढ ] [ ८१ भार्या... ...(समरा ?)दे पुत्ररत्न संघवी सचवीर भार्या पद्माई पुत्ररत्न संघवी देवा सु( स्व )कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री. जगन्नाथप्रासादे श्रीदेवकुलिका कारापिताः(ता)॥ भट्टारकप्रभुश्रीहेमविमलमूरिभिः प्रतिष्टिता॥ संघस्य शुभं भवतु ॥ [ २३८ ] मोहर ठिकाणा नांदिया सबत श्रीराजसाहेबांजी जेतसीगजी कुबरजी श्रीअसलसीगजी बसनाएतु गांम मीरपुरमें मीदर ४ सार हैं सो मीदरां तालके बगीसो है सो जमीन इनाएत कर दीनी हे मीदरां तालके तणरी बाजुआरी वीगत १ पुरव दीसाने मोटो मीदर श्रीगोडी पारसनाथजी __महाराजरो हे २ पसम दीसाने श्रीमाहादेवजीरो मीदर ताा वालोतक ३ दकण दीसाने श्रीमाताजीरा भाकर तक ता डुगरावारा भाकर तक ४ उतर दीसाने आडारा भाकर तक बालातक उपर माफक जमीन इनाएत कीणी तणरी कीमतरा रू७१) ओकोतर भीलाडी में रोकडा ले दीइ हे सो आ ૨૩૮ દસ્તાવેજના અસલ પટ્ટાની નકલ. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003989
Book TitleArbudachal Pradkshina Jain Lekh Sandohe Abu Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1949
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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