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________________ १२८ प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः (६६३) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ संवत् १९५६ वैशाख मासे शुक्ल पक्षे तिथौ ३ श्रीसिद्धचक्रयंत्रं प्रतिष्ठितं भ। श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः जयनगरवास्तव्य श्रीमालान्वये झरगड़गोत्रीय सुश्रावक खूबचन्द तत्पुत्र रोसनराम वृद्धिचन्द्र सपरिकरेण कारितं स्वश्रेयोर्थं ॥ सदा अक्षयमस्तु॥ श्रीः॥ (६६४) चक्रेश्वरीमूर्तिः ॥ सं। १९५६ मिते ज्येष्ठ शुक्ल ३ रवौ इदं चक्रेश्वरी प्रतिष्ठितं जं। यु। भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः॥ श्रेयोस्तु। (६६५) सिद्धचक्रयंत्रम् ॥ श्री संवत् १९५६ मिति कुंवार शुदि १५ बोहरागोत्रे कस्तूरचंदजी तद्भार्या मोहिनी बीबी कारापितं सिद्धचक्रयंत्रं प्रतिष्ठितं बृहद्भट्टारक श्रीजिनरत्नसूरिभिः श्रीजिनचन्द्रसूरिपदस्थितैः श्रीरस्तुगेदं॥ (६६६) पार्श्वनाथः ॥ स्वस्ति श्रीविक्रम सं० १९५६ का० शाके १८२१ का माघ शुक्ल त्रयोदशी शुक्रवार जंडियालानगरे । बिंबं भराया श्रावक हीरालाल छगनलाल गोत्र टांक श्रीमाल वंशे संवेगधारक तपागच्छे मुनि श्री कमलविजयजी..........श्रीजयपुरवास्तव्यः॥ (६६७) जिनदत्तसूरि-पादुका ॥ संवत् १९५८ वर्षे आषाढ सु० ५ शुक्रे दादाश्रीजिनदत्तसूरि पादुके प्रतिष्ठितं श्रीजिनकीर्तिसूरिभिः।। (६६८) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ संवत् १९५८ वर्षे आषाढ सु० ५ शुक्रे दादाश्रीजिनकुशलसूरिपादुके प्रतिष्ठितं श्रीजिनकीर्तिसूरिभिः। कारितं श्रीसंघेन। ६६३. किसनगढ़ खरतरग० उपाश्रय ६६४. जयपुर श्रीमालों का मन्दिर ६६५. जयपुर श्रीमालों का मन्दिर ६६६. जयपुर श्रीमालों का मन्दिर ६६७. अमरावती पार्श्वनाथ मन्दिर ६६८. अमरावती पार्श्वनाथ मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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