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________________ प्रतिष्ठा - लेख - संग्रहः द्वितीयो विभागः (६४३ ) पार्श्वनाथः स्फटिकरल ६ इंच ॥ संवत् १९४९ माघ सुदि १३ श्रीपार्श्वनाथजी श्रीबिंबं प्रतिष्ठा राजकंवारबाई श्रीमोहनलालजीमुनि । (६४४) जिनकुशलसूरि- पादुका ॥ सं । १९५० आषाढ शुक्ला ८ अष्टम्यां शुक्रवासरे उ । श्री तिलकधीरगणिना श्रीजिनकुशलसूरीणां चरणं श्रीसंघकारापितं प्रतिष्ठितं भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः ॥ १२५ (६४५) जिनकुशलसूरि- पादुका संवत् १९५० के स्थापित जिनकुशलसूरि चरण हैं । (६४६ ) जयसागर - पादुका ॥ श्री ॥ संवत् १९५१ का वर्षे मिति वैशाख सुदि २ शुक्रवासरे गुरां मानराज श्री श्री १०८ श्री श्री रुघनाथसागरजी तत्शिष्य जगसागर.. पादुके श्रीरस्तु । (६४७) दादा - पादुका - युगल ॥ पगलीया श्री दादा जिनदत्तसूरजी जिनकुशलसूरजी संवत् १९५१ रामिति सावण सुद ५ वार सोमवार ( ६४८ ) पार्श्वनाथ: ॥ सं० १९५१ रा माघ सु० पंचम्यां श्रीपारसनाथजी बिंबं प्रतिष्ठा भट्टारक श्रीविजयराजसूरिमत्तपागच्छे श्री ........... | (६४९ ) जिनकुशलसूरि- पादुका ॥ संवत् १९५२ का मिति माघ शुक्ला ३ तिथौ गुरुवासरे जं० यु० प्रधान खरतरभट्टारक दादाजी महाराज १०८ श्रीजिनकुशलसूरीजी महाराज रा ६४३. कोटा सेठजी का गृह देरासर ६४४. जयपुर स्टेशन मन्दिर ६४५. जोधपुर कुंथुनाथ मन्दिर ६४६. मालपुरा मुनिसुव्रत मन्दिर ६४७. बूंदी सेठजी का मन्दिर ६४८. मेड़ता रोड शान्तिनाथ मन्दिर ६४९. जयपुर नया मन्दिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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