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________________ उनके द्वारा तीर्थ-यात्रा, मन्दिर-मूर्ति निर्माण, स्वधर्मी बन्धुओं की भक्तिसेवा का उल्लेख है। साथ ही प्रतिष्ठापक आचार्य श्री लक्ष्मीसागरसूरि के गुरुजनों एवं अधीनस्थ विद्वत् साधुओं का उल्लेख है। यह 'साल्हसुकृतराशि-प्रशस्ति' साधुविजयगणि ने सम्वत् १५२५ में लिखी है और बाधा सूत्रधार ने इसको टंकित किया है। यह आंतरी ग्राम के शान्तिनाथ मन्दिर के शिलालेख का सार है। लेखांक १७९- सम्वत् १५४३ में प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्टि गोगंन के परिवार ने शत्रुजय आदि तीर्थमय शीतलनाथ चौबीसी का निर्माण करवाया। इस चौबीसी में रायण वृक्ष, ऋषभदेव पादुका, अम्बिका और पाँचों पाण्डुओं की मूर्तियाँ भी अंकित है। लेखांक २२८- यह अहमदाबादस्थ शिवा-सोमजी के मन्दिर में परिकर सहित मूलनायक भगवान् आदिनाथ की विशाल मूर्ति का विस्तृत लेख है। इस लेख में लिखा है- विक्रम सम्वत् १६५३, अल्लाई सम्वत् ४२ (अकबर का राज्यकाल का सम्वत्) में अहमदाबाद नगर में प्रतिष्ठापक आचार्य जिनचन्द्रसूरि के उपदेश से तीर्थरक्षण एवं अहिंसापालन आदि के फरमान प्राप्त सुकृतियों का यशस्वी वर्णन है। सम्राट अकबर द्वारा प्रदत्त युगप्रधान पद का उल्लेख है। लाभपुर (लाहोर) में मंत्री कर्मचन्द्र कृत उत्सव में जिनसिंहसूरि की पद-स्थापना का भी उल्लेख किया गया है। अहमदाबाद निवासी प्राग्वाट जातीय साईया के वंशज संघवी शिवा-सोमजी ने अपने पुत्र-पौत्र आदि के साथ इस पंचतीर्थी परिकर युक्त प्रतिमा का निर्माण करवाया। यह प्रशस्ति समयराजोपाध्याय ने लिखी है और इसका टंकण सूत्रधार गल्ला मुकुन्द ने किया है। ___ लेखांक २३४- सम्वत् १६६३ जिनकुशलसूरि स्तूप के लेख में अंकित है कि बाफना गोत्रीय सा० समरसिंह के पुत्र भरत को पत्तन नगर में राजा ने नगर श्रेष्ठी पद प्रदान किया था। यह लेख जाम राज्य में राजाधिराज शत्रुसल्ल के समय में लिखा गया था। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003984
Book TitlePratishtha Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year2003
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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