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करुणा-वीर
"समाज बदलने के लिये पहले स्वयं को बदलना है बड़े भाई के को दो बरस बीत गये अब मुझे अपनी सोची हुई माह पर चलना है मैंने स्व-पर-कल्याण की शपथ ली है पिन लोकाठितक देवों ने भी धर्म-तीर्थ-प्रवर्तन हेतु प्रार्थना की है
मैं जिन-दीक्षा अंगीकार कस्गा पर अनजाने में भी सम्पदा से अधाये हुए सुनिवयों का पेट नहीं भरूंगा बेबसों के लिये कुछ न कुछ अवश्य सोचूंगा गरीबी के आँसू जितने पोंछ सकूँगा पोंगा
बहुत संभव है-मेरे प्रयास विनाट निर्धनता का अभिशाप न मिटा पायें परन्तु एक वर्ष तक मैं नित्य बाँदंगा एक करोड़ आठ लानव स्वर्ण-मुद्रायें ।'
सोचा महावीर ने, उन का यह विचार वर्ष-भर उनकी सॉस-ॉस में जिया
प्रकाश-पर्व : महावीर /59
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