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मुभव से सच निकला“यह तो साक्षात् ज्ञान है कुछ भी बता सकता है मैं इसे पढ़ाऊँ क्या यह तो मुझे भी पढ़ा सकता हैं"
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भगवान कोयह युगों-युगों तक जिये यह मेरे पास अया है तो शायद मुझे गुरु का मान देने के लिये"
सचमुच ! ज्ञान के क्षेत्र में कभी कोई कुछ नहीं बोता है यही एक ऐसा मैदान है जिसमें हारने का भी गर्व होता है।
प्रकाश-पर्व : महावीर /40
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