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शंकालू देव का आत्मकथन
इछ ने तो का था
में ही
ईर्ष्या और शंका के काँटो में उलझा था मैंने उसे आठ वर्ष का एक साधारण बालक मात्र समझा था
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सोचा थावैभव में पले-बढ़े माजकुमार तो यूँ भी अगों से कोमल ही होते हैं. मानव का छोटा-सा बच्चा होता क्या है देव-शक्ति के अगे. उसको भी क्या परनवे
परन्तु कहा था इळ ने ही थी चुनौती देव-शक्ति को चुप उठे अन्य देव नपुसकों की तरह, मैंने स्वीकार की चुनौती
प्रकाश-पर्व : महावीर /33
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