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सोचता हूँ कोमलता की पराकाष्ठा होता है माता-पिता का हृदय उनका व्यक्तित्व सन्तान की लय में ही हो जाता है विलय सन्तान में ही बसते-हँसते हैं उनके प्राण सन्तान से ही जुड़े रहते हैं उनके साहस उनके भय
ओ मेसी अन्तिम म ...ओ मेरे अन्तिम पिता इस भव इस देश में कमी तुम्हें दुःनव नहीं लूगा जन्म लेने से पहले सकल्प लेता हूँ तुम दोनो को कभी दु-नव नहीं दूगा तुम्हारे नहते दीक्षा भी नहीं लूगा ।
प्रकाश-पर्व : महावीर /25
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