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अब तो इसी पर
केन्द्रित रहेंगे हमारे मन वचन काय, तुम पुत्र को जन्म नहीं दोगी
रचोगी
मनुष्यता का एक नया अध्याय ।
सचमुच !
ये जिने स्वप्न नहीं हैं महानानी ।
ये तो हैं
सबके लिये अभयंवन
तुम्हानी कोनव मे
आया है कोई चक्रवर्ती सम्राट् या तरविन
प्रकाश-पर्व : महावीर / 23
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