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बळ अनों से भी तीनों काल तीनों लोकों का दर्शन केवल दर्शन केवल ज्ञन केवल ज्ञन केवल ज्ञान का अलोक-वर्षण
साधना की तलाश केवल ज्ञन असीम प्रकाश
देवों द्वारा केवल्य महोत्सव अभिनळदन
धव्य हुआ जग पूर्णता के परम शिनवर को कर अनन्त वचन अनन्त वळन
अनन्त वन्दन !
महावीर औरों के
पहले स्वय पूर्णता से भरे भगवान् पिन अपूर्णता को मुक्त-हस्त से बाँटा पूर्णता का ज्ञन
महावीर थे और थी पूर्णता की अभवण्ड लय पावा नगरी धार्मिक गतिविधियों का केक थी उस समय बन कर सैकड़ें सूर्यो के उजियाने प्रभु वहीं पधारे
प्रकाश-पर्व : महावीर / 114
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