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आराधना
खुपु भराविउ जाइकुसमि कसतूरी सारी सीमंतइ सिंदूररेह मोतीसरि सारि ॥ १८ ॥ नवरंगि कुंकुमि तिलय किय रयणतिलउ तसु भाले । मोतीकुंडल कन्नि थिय बिंबालिय करजाले ॥ १९ ॥ अह निरतीय कजलरेह नयणि मुहकमलि तंबोलो नगोदरकंठलउ कंठि अनु हार विरोलो। मरगदजादर कंचुयउ फुडफुल्लहं माला करि कंकण मणिवलयचूड खलकावइ बाला ॥ २० ॥ रुणुझुणु ए रुणुझुण ए रुणुझुणु ए कडि घघरियाली रिमिझिमि रिमिझिमि रिमिझिमि ए पयनेउरजुयली। नहि आलत्तउ वलवलउ सेअंसुयकिमिसि अंखडियाली रायमए प्रिउ जोअइ मनरसि ॥२१॥ वाडउ भरिउ जीवडहं टलवलंत कुरलंत । अहूठकोडिरूं उडसिय देषइ राजलकंतो ॥२२॥ अह पूछइ राजलकंतु कांइ पसुबंधणु दीसइ सारहि बोलइ सामिसाल तुह गोरवु हुस्यइ । जीव मेल्हावइ नेमिकुमरु सरणागइ पालइ धिगु संसारु असारु इस्यउं इम भणि रहु वालइ ॥ २३ ॥ समुदविजय सिवदेवि रामु केसवु मन्नावइ नइपवाह जिम गयउ नेमि भवभमणु न भावइ । धरणि धसका पडइ देवि राजल विहलंघल रोअइ रिजइ वेसु ख्वु बहु मन्नइ निष्फलु ॥ २४ ॥ उग्गसेणधूय इम भणइ दूषहिं दाझइ देहो कां विरतउ कंत तुहं नयणिहि लाइवि नेहो ॥ २५ ॥ आसा पूरइ त्रिभुवण मू म करि हयासी दय करि दय करि देव तुम्ह हउँ अछउं दासी। सामि न पालइ पडिवन्नउं तउ कासु कहीजइ मयगलु उवट संचरए किणिं कानि गहीजइ ॥ २६ ॥ नेमि न मन्नइ नेहु देइ संवच्छरदाणूं ऊजलगिरि संजम लियउ हुय केवलनाणूं।
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