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प्राचीनगूर्जरकाध्यसङ्ग्रहः सोमनाथचंदपह वंदीय देखीउ वलीउ जाम दिउ पीयाणं हिव मन रहिसउ मंडलिक भणइ ईम ॥ तहिं ना०॥ दिउ पीयाणं वेगि तहिं हरीयाला सूडा रे सूरवाहे संपत्त मनीला सूडारे ॥
इति श्रीप्राग्वाटवंशमौक्तिकव्य० पेथडरासः समाप्तः ।।
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