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(१०५) भगवान महावीरके उपदेश, भगवान बुद्ध द्वारा मध्यमार्गका प्रचलन । दोनों धर्मके तुलनात्मक सिद्धान्त, दोनों धर्मों के द्वारा जनसेवा कार्य आदि बातों पर प्रकाश डाला है। और यह भी स्पष्ट किया है कि जैनधर्म भी बौद्धधर्मकी तरह एक विश्वधर्म है। दोनों महापुरुषोंने समाजको जिन नियमों और शिक्षाओं पर चलनेके लिये आदेश दिया है उन्हें भी तुलना करके बताया है। इस पुस्तककी Dr. Miss Eharlotte Krause Ph. D. (Geipsig) ने मूरि२ प्रशंसा की है।
LORD MAHAVIRA The greet Saviour of the world. यह ३४ पृष्ठीय पुस्तक अंग्रेजी में लिखी हुई है। जो महावीर जयन्ती १९६३ को प्रकाशित हुई। इसमें भगवान महावीर का प्रारम्भिक जीवन, त्याग और तपस्याकी कहानी, उनके उपदेश, अन्य तीर्थकर. महाबीरका निर्माण और भारतीय संस्कृतिको जैन धमकी देन जैसे उपयोगी अंगोंको लेकर पुस्तकको सुन्दर बनाया गया है। अनेकांत और अपरिग्रहका महत्व भी बताया है। जैनधर्मको प्रमुख विलक्षणताएं और सत्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। अपने शत्रुओं पर विजय कैसे प्राप्त की जाये ? महाबीर जयन्तीका क्या महत्व है ? उसे कैसे मनाया जावे ? और महावीर जयन्ती पर हम क्या सीखें ऐसे अनेक प्रश्न व शंकाओंका समाधान भी किया है। प्रत्येक देशमें शांति स्थापनाकी समस्याका हल ब बूजी ने इस प्रकार बताया है
"May His Sacred memory inspire in us the spirit of Ahinsa, the vision of Anekanta and the hamanitarian feeling of Aparigraha, so that we
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