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________________ 285 परिग्रह की बुद्धि, आसक्ति और ममत्व वृत्ति को जन्म देकर व्यक्तित्व को ही विद्रूपित करता है। इससे यही फलित होता है कि जहाँ परिग्रह वृत्ति का विकास होता है, वहाँ पर-पदार्थों पर ममत्व का आरोपण होता है, और जहाँ पर-पदार्थों पर ममत्व का आरोपण होता है, वहाँ समत्व का भंग हो जाता है। समत्व से तात्पर्य आत्मा के स्वभाव से है। जैनदर्शन के अनुसार समत्व की उपलब्धि के लिए ममत्व का त्याग आवश्यक है। जब तक ममत्व को छोड़ा नहीं जाता, तब तक समत्व प्राप्त नहीं किया जा सकता। आचारांगसूत्र में कहा गया है - "जो व्यक्ति ममत्व भाव का परित्याग करता है, वह स्वीकृत परिग्रह का त्याग कर सकता है। जिसके मन में ममत्व भाव नहीं है वही मोक्ष मार्ग का दृष्टा है। अतः जिसने परिग्रह के दुष्परिणाम को जानकर उसका त्याग कर दिया है, वह बुद्धिमान है।" जब तक ममत्व-बुद्धि का त्याग नहीं होता है तब तक समत्व का विकास नहीं हो सकता है। इसलिए सर्वप्रथम ममत्व का परित्याग आवश्यक है। ममत्व पर के प्रति अपनेपन या मेरेपन का भाव है। जो ममत्व से युक्त होता है वह पर में स्व का आरोपण करता है। और जो पर में स्वत्व या अपनेपन का आरोपण करता है, एक मिथ्या अवधारणा है। अतः आचारांग में कहा गया है कि जिस व्यक्ति में ममत्व बुद्धि नहीं है, वही मोक्ष मार्ग का ज्ञाता मुनि है। ममत्व के कारण व्यक्ति पर से जुड़ता है और स्व से विमुख होता है। अतः ममत्व-बुद्धि का परित्याग आवश्यक माना गया है। ममत्व-बुद्धि के त्याग का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति उपयोग से वंचित हो, वह वस्तुओं का उपयोग कर सकता है। परन्तु उनके प्रति मेरेपन का भाव नहीं रख सकता है। ममत्व वृत्ति राग का ही एक रूप है, और जहाँ राग है, वहाँ चित्तवृत्ति विभावदशा को प्राप्त होती है। अत: विभाव से स्वभाव में आने के लिए ममत्व वृत्ति का त्याग आवश्यक है। सूत्रकृतांग के अनुसार- मनुष्य जब तक किसी 127 जे ममाइयमई जहाइ से चयइ ममाइयं, से हु दिट्ठपहे मुणि जस्स नत्थि ममाइयं - आचारांगसूत्र प्रथम श्रुतस्कन्ध 2/6/99 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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