________________
405-420
अध्याय – 10 लोक संज्ञा और ओघ संज्ञा
1. लोक संज्ञा और ओघ संज्ञा का स्वरूप 2. लोक संज्ञा और ओघ संज्ञा में समानता और भेद 3. ओघ संज्ञा की उपादेयता और लोक संज्ञा की हेयता का प्रश्न 4. लोक संज्ञा पर विजय कैसे ? 5. ओघ संज्ञा पर विजय कैसे ?
421-447
अध्याय – 11 सुख संज्ञा और दुःख संज्ञा
1. सुख और दुःख का अर्थ तथा उनकी सापेक्षता 2. सुख व्यवहार के प्रेरक के रूप में और दुःख व्यवहार के निवर्त्तक के रूप में 3. सुखवाद की अवधारणा और उसकी समीक्षा 4. सुख और आनंद का अन्तर
448-485
अध्याय – 12 धर्म संज्ञा
1. धर्म की परिभाषाएँ 2. धर्म का सम्यक् स्वरूप 3. धर्म की जीवन में उपादेयता 4. धर्म मोक्ष का साधन
486-531
अध्याय – 13 (अ) मोह संज्ञा
1. मोह संज्ञा का स्वरूप 2. मोह के प्रकार 3. मोह मोक्ष में बाधक 4. मोह पर विजय कैसे ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org