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________________ ____124 भय के प्रकारों को लेकर भी जैनदर्शन में गंभीरता से विचार किया गया है। जैनदर्शन में भय के सात प्रकार 33 बताए गए हैं - 1. इहलोक-भय, 2. परलोकभय, 3. आदान-भय, 4. अकस्मात्-भय. 5. आजीविका-भय, 6. अपयश-भय, और 7. मरण-भय, लेकिन आधुनिक मनोविज्ञान की पुस्तकों में न तो इस प्रकार का वर्गीकरण उपलब्ध होता है और न ही उन प्रकारों पर गहन चिन्तन की प्रस्तुति देखने को मिलती है। आधुनिक मनोवैज्ञानिक शारीरिक-संवेदना को ही भय का कारण मान रहे हैं, किन्तु जैनदर्शन के अनुसार, भय के संस्कार अनादिकाल से हमारी चेतना में गुप्त रूप से विद्यमान हैं। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार भय-संवेग के कारण व्यक्ति अशान्त और शंकाग्रस्त बन जाता है और उसकी मानसिक-स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, पर जैनदर्शन यह मानता है कि भय के कारण व्यक्ति अहिंसक-वृत्ति को प्राप्त नहीं कर सकता। बिना अहिंसक बने धर्म-साधना और मुक्ति सम्भव नहीं है। आधुनिक मनोविज्ञान में भय की उत्पत्ति के चार कारण बताए गए हैं और जैनदर्शन में भी चार कारणों का उल्लेख है, पर दोनों के कारणों में भिन्नता है। आधुनिक मनोविज्ञान ___ जैनदर्शन 1. जानवरों से (Animals) | 1. सत्त्वहीनता के कारण। 2. आवाज से (Noises) 2. भयमोहनीय-कर्म के उदय से 3. आने वाली आपत्ति की सूचना से| 3. भयोत्पादक वचनों को सुनकर (Threats) 4. आश्चर्यजनक वस्तु को देखकर 4. भय-संबंधी घटनाओं के चिन्तन से। (Strange Things) 38 सम्माद्दिट्टी जीवा णिस्संका होति विब्भया तेण। सत्तभयविप्पमुक्का जम्हा तम्हा दु णिस्संका ।। - समयसार, गा. 228 39 Basic Psychology, P.101 40 स्थानांगसूत्र - 4/580 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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