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________________ 116 जरसिल और Co-worker ने अपने प्रयोग के आधार पर कहा है कि भय इन चार प्रकार से हो सकता है - 1. जानवरों की प्रतिक्रियाओं से, 2. आवाज से, 3. आने वाली आपत्ति की सूचना से और, 4. आश्चर्यजनक वस्तु को देखकर । उन्होंने प्रयोग के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि छोटी उम्र के बच्चे, जो नासमझ हैं, उन्हें तेज आवाज और अनजान व्यक्ति या वस्तु से अधिक डर लगता है, जबकि बड़ी उम्र के बच्चों को भयानक जानवरों और आने वाली आपत्ति से अधिक भय लगता है। मनोविज्ञान के अनुसार Pain, Anxiety, worry & Phobias यह सब भय के ही विविध प्रकार कहे जा सकते हैं, परन्तु तीव्रता के क्रम के अनुसार इनमें अंतर दिखाई देता है। दर्द और भय (Pain & Fear) में घनिष्ट सम्बन्ध है। दर्द इस बात का सूचक है कि दैहिक-संरचना को खतरा है। वह यह बताता है कि शरीर में कोई खतरनाक घटना घटित होने वाली है, जैसे – किसी व्यक्ति की अंगुली जलती है, तो वह हाथ खींच लेता है या अपनी अंगुली को वहाँ से अलग कर लेता है। इस प्रकार, दर्द की अनुभूति व्यक्ति को सुरक्षात्मक व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है और यह सुरक्षात्मक व्यवहार भय के कारण ही होता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, डर (Fear) तथा दुश्चिन्ता (Anxiety) दोनों एक दूसरे से काफी संबंधित संवेग (Related emotion) हैं। डर एक ऐसी संवेगात्मकस्थिति है, जिसमें किसी ऐसी खतरनाक (dengerous) वस्तु या घटना के प्रति व्यक्ति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, जिससे वह आसानी से छुटकारा नहीं पा सकता। दुश्चिन्ता (Anxiety) चिरकालिक डर का ही दूसरा नाम है। दुश्चिन्ता में मानसिकस्थिति अस्पष्ट होती है, लेकिन यह संचयी होती है और प्रत्येक क्षण यह एक खास स्थिति तक बढ़ती ही जाती है। यदि हम वयस्क व्यक्ति के भय और चिंता का अध्ययन करें, तो सर्वप्रथम व्यक्ति उन भयकारक परिस्थितियों को सीखता है, जो वस्तुतः दुःख उत्पन्न करती 32 Jersild and his co-workers (1933). In their study four type of stimuli were used to elicit fear. There were (a) animals, (b) noises, (c) threats and (d) strange things - Basic Psychology P. 101 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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