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________________ 106 1. पूर्वजन्म के संस्कारों के कारण भय - आज मनोवैज्ञानिक शारीरिक-संवेदना को ही भय का कारण मान रहे हैं, किन्तु अध्यात्मवादी-दृष्टि के अनुसार भय आज की ही देन नहीं है। हमारा अस्तित्व आज से अथवा इस जन्म के साथ ही प्रारम्भ नहीं होता है। हमारे वर्तमान अस्तित्व के पीछे अनन्त-अनन्त जन्मों की एक श्रृंखला है। अनादिकाल से हर जन्म के संस्कार हम अपनी चेतना में समेटे हुए हैं। यद्यपि वे संस्कार सुप्त-गुप्त हैं, किन्तु हम उनके प्रभावों से अप्रभावित कभी भी नहीं रह सकते हैं। ___जैनदर्शन के अनुसार, निगोद से ऐकेन्द्रिय-विकलेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय अवस्था को प्राप्त करने का मुख्य कारण भय ही है, क्योंकि जब-जब शत्रुओं ने हमें डराया या हनन किया, तब-तब हमारे जीव ने उनसे बचने के लिए शक्ति प्राप्त करने का संकल्प किया और अकाम-निर्जरा होते-होते हमें वे सारी शक्तियाँ भी प्राप्त होती गई। हम द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय से बढ़ते-बढ़ते पंचेन्द्रिय योनि को उपलब्ध हुए। प्रत्येक समय जीव को यह अहसास हुआ कि वह निर्बल है और प्रबल शत्रु को परास्त करने के लक्ष्य से शक्ति को प्राप्त करने का विकल्प ही हमारे विकास का कारण बना और यह पूर्वजन्म के संस्कार के कारण ही हुआ। 2. अज्ञान के कारण भय - जब तक अपने स्वरूप का ज्ञान नहीं हो जाता, तब तक भय बना ही रहता । है। किसी वस्तु का अज्ञान जीव को भयभीत करता है। प्राचीन काल में लोग मेघ-गर्जन, बिजली चमकना, अति वर्षा, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाओं एवं अवस्थाओं से भी डरते थे, क्योंकि उन्हें इन. आपदाओं का सामना करने ज्ञान नहीं था। वे इन्हें भगवान का प्रकोप समझकर इनसे डरते रहते थे, पर जब ज्ञान होने लगा तो उनका भय भी कम होने लगा। जब पहली बार रेलगाड़ी चलाई गई, तो कोई व्यक्ति उसमें बैठने को तैयार नहीं हुआ, क्योंकि लोग अज्ञान के कारण यह समझ रहे थे कि क्या बिना ऊँट, बैल, घोड़े के यह रेलगाड़ी कोयले से बनी भाप से चल पाएगी और यदि नहीं चली या गिर गई, तो हमारा क्या होगा ? पर जब ज्ञान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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