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समाज के लिए नहीं, अपितु पूरे विश्व को तनावमुक्त रखने के लिए है। जहाँ एक ओर हिंसा ने विश्व को अशांत बना रखा है, वहीं दूसरी ओर अहिंसा अपनाने से विश्व-शांति होती है। प्राचीनकाल ही से अहिंसा का सिद्धांत विश्व को शांति प्रदान करता रहा है। जब अंग्रेजों ने भारत देश पर कब्जा किया तो महात्मा गाँधी ने अहिंसा व सत्य के शस्त्र से देश को आजाद करवाया था।
आज के युग में हर समस्या का समाधान हिंसा में ही ढूंढा जाता है। किन्तु विश्व में जैसे-जैसे हिंसा बढ़ती जा रही है, तनावपूर्ण स्थिति और भी विकट होती जा रही है। आज तनावमुक्ति के लिए अहिंसा ही एक ऐसा शस्त्र है, जो बिना किसी तनाव या गहरी चोट के विश्व में शांति प्रदान कर सकता
अहिंसा का अर्थ -
सरल शब्दों में कहें तो हिंसा नहीं करना अहिंसा है। प्रायः यह समझा जाता है कि किसी की हत्या नही करना अहिंसा है। किसी जीव के प्राणों का घात नहीं करना अहिंसा है। किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाना हिंसा है, किन्तु अहिंसा का अर्थ इससे कहीं अधिक व्यापक है। गांधीजी ने कहा है – “अहिंसा वह स्थूल वस्तु नहीं है, जो आज हमारी दृष्टि के सामने है। किसी को न मारना इतना तो है ही, कुविचार मात्र भी हिंसा है। उतावली हिंसा है, मिथ्या भाषण हिंसा है, द्वेष हिंसा है, जगत के लिए जो आवश्यक वस्तु है उस पर कब्जा करना भी हिंसा है। 43 उपर्युक्त कार्य नही करना अहिंसा है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि व्यक्ति में प्रेम, सद्भावना, सेवा, दया, करूणा, नैतिकता और आत्मीयता का गुण होना और उसी के अनुरूप व्यवहार करना अहिंसा है। प्रेम, सद्भावना, सेवा, दया, करूणा, नैतिकता आदि गुण व्यक्ति में होते हैं, अर्थात् ये व्यक्ति के मानवीय गुण हैं। व्यक्ति के मानवीय गुण ही उसका मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं। विश्वशांति बनाए रखने के लिए व्यक्ति को
43 मंगल प्रभात. जीवन धर्म : अहिंसा, भगवानदास केला. प. 11
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