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________________ 212 5. ध्यन :- कायोत्सर्ग से शुभध्यान का अभ्यास सहज हो जाता है। इस प्रकार तनाव मुक्ति ध्यान साधना की पहली शर्त है। कायोत्सर्ग के अन्य कई लाभ है, जिनका मुख्य उद्देश्य कायोत्सर्ग से तनावमुक्ति ही है। 6. कायोत्सर्ग से अल्फा तरंग विकसित होती है। कायोत्सर्ग से पूर्णतः तनाव मुक्ति मिल सकती है। ____ यदि विज्ञान के संदर्भ में इसे समझने का प्रत्यन करें तो यह बात सिद्ध हो जाती है। क्योंकि मस्तिष्क में कई तरंगे है, अल्फा, बीटा, थीटा, गामा आदि। जब-जब अल्फा तरंगें होती है, मानसिक तनावों से मुक्ति मिलती है, शांति का अनुभव होता है। कायोत्सर्ग में अल्फा तरंग को विकसित होने का मौका मिलता. है। कायोत्सर्ग किया और अल्फा तरंग उठने लगती है। फलतः मानसिक तनाव घटने लगता है। 7. चित्तशुद्धि :- तनाव मुक्ति के लिए चित्त विशुद्धि सबसे जरूरी है, चित्त की शुद्धि होना और चित्त की शुद्धि के लिए शरीर की स्थिरता का होना आवश्यक है। शरीर की स्थिरता हुए बिना चित्त की स्थिरता सम्भव नहीं हो सकती है। मन शांत नहीं होता, स्मृतियां शांत नहीं होती, कल्पनाएं समाप्त नहीं होती और तनावग्रस्ता अधिक बढ़ जाती है। कायोत्सर्ग में शरीर को स्थिर करने का प्रयास किया जाता है शरीर के स्थिर होने से वाणी को भी विराम मिलता है। वाणी शारीरिक अवयवों चंचलता के बिना सम्भव नहीं है। वाणी का विराम मिलने पर मन के संकल्प विकल्प भी थम जाते है। वैचारिक स्थिरता आती है, जो तनाव मुक्ति का आधार है। 69. महावीर का स्वास्थ्य शास्त्र महाप्रज्ञ पृ.-108 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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