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फेन्द्रित कर ऊर्ध्वरेता की भावना करें। "वीर्य ओज में परिणित हो" यह चिन्तन करें।
समय और श्वास प्रश्वास - आधा मिनट से पांच मिनट । श्वास प्रश्वास करते समय संकल्प करें कि ऊर्जा (प्राण) शक्ति ओज रूप में परिणत होकर मस्तक में फैल रही है। स्मरण शक्ति विकसित होती जा रही है।
लाभ – ब्रह्मचर्य की साधना में सहायक। शरीर शक्ति सम्पन्न व तेजस्वी बनता है।
8. सिद्धासन :
यह आसन साधना की सिद्धि को सहजता प्रदान करता है। इसलिए सिद्धासन कहलाता है। योग के चौरासी लाख आसनों में सिद्धासन को प्रमुख स्थान दिया गया है। सिद्धासन को ध्यान, साधना एवं समाधि के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
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