SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 183 6. शंशाकासन : शशांक का तात्पर्य खरगोश से है, जो अत्यन्त कोमल एवं शांत प्राणी है। शरीर की आकृति शशांक जैसी होने से इसे शशांकासन कहा गया है। इसका दूसरा नाम चन्द्रमा भी है। यह आसन चन्द्रमा की तरह शीतलता प्रदान करता है। आवेश का उपशमन करता है। विधि - वज्रासन में पंजों पर ठहरे। हाथों को घुटनों पर रखें। पूरक करते हुए हाथों को आकाश की ओर उठाएं रेचन करते हुए हाथ एवं ललाट को भूमि पर स्पर्श करें। पूरक करते हुए उठे। पुनः रेचन कर भूमि को स्पर्श करें। लम्बे समय तक शशांकासन में रुकना हो तो श्वास की गति सहज और गहरी रहेगी। समय - एक मिनट से तीन मिनट। लाभ - तीव्र रक्तचाप सामान्य बनता है। क्रोध उपशमन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मानसिक शांति के लिए उपयोगी है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy