________________
176
शरीर और मन दोनों को स्वस्थ बनाती है। मन प्रसन्न और चित्त शान्त होने
लगता है।
आचार्य भगवान देव ने अपनी पुस्तक 'योग द्वारा रोग निवारण' में लिखा है कि "आत्मा से साक्षात्कार के लिए योग वैज्ञानिक कला है।" 15 आत्मा से साक्षात्कार तब होता है जब व्यक्ति ध्यान के अंतिम चरण को पार कर ले अर्थात् मन की चंचलता को समाप्त कर दे और यह तभी सम्भव है, जब योग द्वारा शरीर और मन तनावों से मुक्त हो। तनावमुक्ति के लिए कुछ मुख्य आसन विधियाँ निम्न हैं, जो कि युवाचार्य महाप्रज्ञ के निर्देशन में तैयार की गई है। इनमें से कुछ निम्न है।16
खड़े रहकर करने वाले आसन, जो शारीरिक व मानसिक तनाव को दूर करते है :
1. समपादासन -
विधि - सीधे खड़े रहें। गर्दन, रीढ़ और पैर तक सारा शरीर सीधा और सम रेखा में रहें। दोनों पैरों को सटाकर रखें। दोनों हाथों को सीधा रखें। हथेलियों को जंघों से सटाकर रखें। समय - कम से कम तीन मिनट और सुविधानुसार यह कुछ घण्टों तक किया जा सकता है। लाभ - 1. शारीरिक धातुओं को सम रखता
2. शुद्ध रक्त संचार में सुविधा होती है।
14. तनावमुक्त कैसे रहें - एम.के.गुप्ता 15. "योग द्वारा रोग निवारण- आचार्य भगवान देव पृ.12 | . 16. प्रेक्षाध्यान आसन-प्राणयाम, मुनि किशनलाल पृ. 7 से 59
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org