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________________ 170 देखने की क्षमता क्षीण होने लगती है। स्मरण शक्ति भी कमजोर हो जाती है। तनाव के चलते ही व्यक्ति हकलाकर बोलने लगता है। घबराहट उसकी आदत बन जाती है। उसके हाथ-पांव पर सूजन होने लगती है। हृदय की धड़कन कभी बहुत कम और कभी बहुत ज्यादा होने लगती है। साथ ही हमारे पाचन तंत्र पर भी हमारे मानसिक तनावों का दुष्प्रभाव पड़ता है। तनावग्रस्त व्यक्ति की भोजन में भी रूचि नहीं होती है। इस प्रकार वह शारीरिक दृष्टि से कमजोर हो जाता है।" तनाव जिस मार्ग से गुजरता है, उसके बीच बिमारियों के कई पायदान बिछे रहते है। जैसे अवसाद, रक्तचाप, मधुमेह, हृदयघात आदि। आज की दो आम बिमारियाँ है- 1. हृदयघात और 2. रक्तचाप। इन दोनों बीमारियों का मूल कारण तनाव ही है। जब कोई बात या घटना असहनीय होती है तब व्यक्ति अपने मन को तनावग्रस्त बना लेता है, फलतः वह हृदयघात या रक्तचाप से ग्रस्त हो जाता है। रक्तचाप जब भी कम या ज्यादा होता है तब-तब उसका प्रभाव या तो हमारे हृदय पर होता है या हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। एक के कारण मस्तिष्काघात हो सकता है और दूसरे के कारण हृदयघात। __ मन अगर तनावग्रस्त है तो शरीर भी तनावग्रस्त हो जाता है और फिर शरीर को कई बीमारियाँ घेर लेती है। जब शारीरिक सन्तुलन भंग होता है, तब व्यक्ति स्वभावतः तनावों से ग्रस्त हो जाता है। शारीरिक तनावों के कारण छोटी आंत और बड़ी आंत में सिकुड़न पैदा हो जाती है। तनाव का शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। प्रकृति ने स्वयं शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत दी है। तनाव उस ताकत को कमजोर करता है। “पाश्चात्य चिंतकों चार्ल्सवर्थ और नाथन के अनुसार तनाव के परिणाम स्वरूप व्यक्ति की निम्नलिखित शारीरिक स्थितियाँ देखी जाती हैं : 6. "कैसे पाए मन की शान्ति" श्री चन्द्रप्रभ पृ. 29 7. "Edward A. Charlesworth and Ronald G. Nathan, strees management, London. Page 4 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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