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अध्याय-4 जैनधर्म दर्शन की विविध अवधारणाएँ और तनाव
1. जैनदर्शन में आत्मा की अवस्थाएँ और तनाव से उनका
जैनधर्मदर्शन में तनाव प्रबंधन
सह-सम्बन्ध
2. त्रिविध आत्मा की अवधारणा और तनावों से उनका सह-सम्बन्ध
3. त्रिविध चेतना और तनाव (ज्ञानचेतना, कर्मचेतना और कर्मफल
चेतना)
4. जैनदर्शन में मन की विविध अवस्थाएँ और तनावों से उनका
सह-सम्बन्ध
5. राग व द्वेष तनाव के मूलभूत हेतु
6. इच्छा एवं आकांक्षाओं का तनाव से सह-सम्बन्ध
7. कषायचतुष्क और तनाव
8. षट् लेश्याएँ और तनाव
9. उत्तराध्ययनसूत्र के अनुसार लेश्याओं का स्वरूप और तद्जन्य
तनावों का स्वरूप
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भगवती एवं कर्मग्रन्थों के आधार पर कषायों की चर्चा
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