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उत्तराध्ययन के सूक्त वचन : महोपाध्याय ललितप्रभसागर आगम-ग्रन्थ उत्तराध्ययन की सार्वभौम एवं सार्वकालिक सूक्तियों का चयन। अनुवाद की भाषा आकर्षक एवं प्रांजल ।
पृष्ठ ५२,मूल्य ४/चन्द्रप्रमः जीवन और साहित्य : डॉ.नागेन्द्र महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागरजी की साहित्यिक सेवाओं का विस्तृत लेखा-जोखा। एक समीक्षात्मक अध्ययन।
पृष्ठ १६०,मूल्य १५/उपाध्याय देवचन्द्र : जीवन, साहित्य और विचार : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महान् तत्त्वविद् उपाध्याय श्री मद् देवचन्द्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रशस्त प्रकाश डालने वाला एक शोधपूर्ण प्रबन्ध।।
पृष्ठ ३२०,मूल्य ५०/विश्व-संस्कृत-सूक्ति-कोशः महोपाध्याय ललितप्रभसागर संस्कृत की विराट सम्पदा के सूक्त-रत्नों की विश्व-चयनिका,जो सूक्ति-कोश भी है और सन्दर्भ-कोश भी। हिंन्दी अनुवाद की शालीनता कोश की अतिरिक्त विशेषता । तीन खंडों में ग्रन्थ का आकलन। पृष्ठ १०००,मूल्य ३००/छैन पारिभाषिक शब्द-कोश : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर जैन-परम्परा में प्रचलित दुरूह एवं पारिभाषिक शब्दों पर टिप्पणी एवं परिचर्चा करने वाला एक उच्चस्तरीय कोश।
पृष्ठ १५२,मूल्य १०/हिन्दी सूक्ति-सन्दर्भ कोश : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर हिन्दी के सुविस्तृत साहित्य से सूक्तियों का ससन्दर्भ संकलन; भारतीय सन्तों एवं मनीषियों के चिन्तन एवं वक्तव्यों का सारगर्भित सम्पादन; आम पाठकों के अलावा लेखकों के लिए खास कारगर; एक आवश्यकता की वैज्ञानिक आपूर्ति। दो भागों में।
पृष्ठ ७००,मूल्य १००/पंच संदेश : महोपाध्याय ललितप्रभसागर . पुस्तक में है अहिसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह पर कालजयी सूक्तियों का अनूठा सम्पादन।
पृष्ठ ३२,मूल्य २/
सन्त-वाणी महाजीवन की खोज:महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर आचार्य कुन्दकुन्द, योगीराज आनंदघन एवं श्रीमद् राजचन्द्र जैसे अमृत-पुरुषों के चुने हुए अध्यात्म-पदों पर बेबाक खुलासा । घर-घर पठनीय प्रवचन-संग्रह । हर मुमुक्षु एवं साधक के लिए उपयोगी।
पृष्ठ १४८,मूल्य १०/बूझो नाम हमारा : महोपाध्याय ललितप्रभसागर. योगीराज आनंदघन के पदों पर किया गया मनोवैज्ञानिक विवेचन,जो पाठक को मौलिक व्यक्तित्व से परिचय करवाता है।
पृष्ठ ६८,मूल्य ५/
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