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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
__ ठोकर
ठोकर लगने के बावजूद सावचेत न होने से बड़ा अज्ञान और कोई नहीं है।
डरपोक वे डरपोक हैं जो पंख लगने के बावजूद उड़ने से कतराते हैं।
डींग मूछ पर ताव देने वाला अगर पिल्ले से ही डर जाये, तो यह कायर द्वारा बहादुरी की डींग हांकना मात्र है।
ढुलमुल-यकीन ढुलमुल यकीन से जब खुद को ही नहीं पाया जा सकता, तो खुदा को कैसे पा सकेंगे।
तटस्थता मन का नाला राग और द्वष के दो किनारों के बीच बहता रहता है। मनीषी वह है, जो वृक्ष की तरह तटस्थ है।
साक्षी-भाव पाने के लिए दृश्य को ऐसे तटस्थ बनकर देखो जैसे कैमरे की अाँख ।
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