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________________ का स्तर ऊंचा हो सकता है। विचारों के परिवर्तन के लिए हमें सम्यक् ज्ञान के प्रकाश में जीना चाहिये। उन लोगों के साथ उठना-बैठना चाहिये, जिन्हें हम सजन-सत्पुरुष कहते हैं। रात को सोने से पहले हर रोज शान्त चित्त से अपने बारे में, अपने आचार-विचार के बारे में चिन्तन-मनन करना चाहिये और ज्ञात दुर्गुणों से स्वयं को दूर (प्रतिक्रमण) करते हुए जीवन में अच्छाइयों की रोशनी प्रगट करनी चाहिये। विचार-शुद्धि के लिए हम संकल्प लें - १. मैं अपना मालिक खुद हूँ। अपने-आपको औरों की गुलामी से बचाते हुए मैं आत्म-स्वतन्त्रा और आत्म-विकास में विश्वास रखूगा। २. किसी का अहित करना तो दूर, अहित करने का विचार भी नहीं करूंगा। ३. अपने विचारों को आत्म-भावना से भावित रखते हुए तन-मन में परमात्मा के प्रसाद और पुलक का अनुभव करूंगा। ४. विचारों में किसी तरह का दुराग्रह न रखते हुए सत्य का समर्थन और ग्रहण करूंगा। ५. प्रतिदिन स्वाध्याय का संकल्प लेते हुए तत्त्वचिन्तन करूंगा। विचारों में वे दीये ज्योतिर्मय करूंगा, जो स्व-पर कल्याणकर हों, सत्य-शिव-सौन्दर्य के अनुरूप हों। आचार-शुद्धि हमारा आचार-व्यवहार, बोल-बरताव ही हमारे Jain Education International For Personal & Private use अन्तर-गुहा में प्रवेश/५५.,.org
SR No.003968
Book TitleAntargruha me Pravesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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