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________________ नींद खोलें भावों की ६१ नहीं होगा । साधु तो बन गए, तपस्या भी खूब करली मगर हाथ कुछ न लगा । केवल ऊपरी परिवर्तन पर ही सन्तोष करके बैठ गए तो हाथ खाली ही रहेगा । दूर देश से एक महिला हिन्दुस्तान के किसी गाँव में किसी के यहाँ मेहमान बनकर आई । श्रातिथ्य सत्कार की परम्परा का निबाह करते हुए मेजबान महिला ने उसे 'पूरण- पोली' बनाकर खिलाया । यह एक विशिष्ट व्यंजन है । वह बहुत प्रसन्न हुई और उसे बनाने की विधि पूछी। मेजबान महिला ने उसे बता दिया कि बेसन, आटा और पानी की मदद से इसे बनाया जा सकता है। वह महिला अपने देश पहुँची और पति से कहने लगी कि मैं एक नया व्यंजन बनाना सीख कर आई हूँ । आप अपने मित्रों को दावत दे आइए। उसका पति समझदार था, बोला- भाग्यवान पहले बनाकर तो देख ले। वह कहाँ मानने वाली थी । उसने कहा- अरे ! बना तो रही ही हूँ, आप तो बस अपने मित्रों को निमन्त्रण दे आइए । बेचारा पति गया और मित्रों को सपरिवार भोजन के लिए कह श्राया । मित्र आ गए। महिला 'पूरण- पोली' बनाने बैठी तो उसके हाथों के तोते उड़ गए। वह पूरण पोली बनाने की विधि तो भूल ही गई। उसने याद करना शुरू किया कि मेजबान महिला ने कैसे बनाई थी। उसे याद आया कि उस महिला ने सफेद साड़ी पहन रखी थी । इसने मगर पूरण-पोली फिर भी नहीं किया तो उसे याद आया कि वह भी सफेद साड़ी पहन ली बनी। उसने फिर याद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003967
Book TitleBhagwatta Faili Sab Aur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1991
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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