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________________ नहीं है। भेद तब पनपते हैं जब कोई ‘राजनीति धार्मिक' हो । एक बगीचे में हजार तरह के फूल खिलें, उनके रंग, रूप और खुशबू भिन्न-भिन्न होंगी लेकिन सौन्दर्य सबका एक जैसा होगा। ज्योत चाहे माटी के दीये में जलाओ या सोने के दीये में, उसकी लौ तो एक जैसी ही होगी। हमारे रूप में फर्क हो सकता है, भीतर की आत्मा में कोई फर्क नहीं है। जिनके लिए बाहर का मूल्य है, वे बाहर के हिसाब से सोचते हैं। यह स्त्री, यह पुरुष। मुझे तो इनमें कोई फर्क दिखाई नहीं देता। मेरी समझ से तो आप अगर अच्छे आदमी बनते हैं तो भले ही स्त्री हो या पुरुष, कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं जब ये बातें कहता हूं तो यह नहीं देखता कि किसी हिन्द या जैन को कह रहा हूं, किसी महिला या पुरुष को कह रहा हूं। मैं सिर्फ आपके प्राणों को, आत्मा को सम्बोधित कर रहा हूँ। मैं जो कुछ कहता हूं, न उपदेश है, न प्रवचन, न व्याख्यान । वह सिर्फ बातचीत है, आत्मा से आत्मा का संवाद है, किसी समुदाय से नहीं, भीड़ से नहीं। आत्मा व्यक्ति की होती है। यही कारण है कि मेरी समझ में व्यक्ति-व्यक्ति में कहीं कोई फर्क नहीं है। हर जगह वही ज्योति है। क्षुद्र से क्षुद्र जीव में भी। आप तीन बिन्दुओं पर गौर कीजिये। पहला - आदमी जन्म से कुछ नहीं होता, वह जो भी होता है, कर्म से होता है। हम किसी के प्रति श्रद्धा करें, उससे पहले इतना तय कर लें कि यह श्रद्धा इसलिए नहीं हो कि हमने उस धर्म से सम्बद्ध किसी कुल में जन्म लिया है। दूसरा - किसी महापुरुष यानी राम, कृष्ण या महावीर के सिद्धांतों की चर्चा भर से कुछ नहीं होगा। हमें उनकी जीवन-शैली, जीवन-चर्या देखनी होगी। तत्त्व के बारे में स्वाध्याय करने से तुम पंडित हो जाओगे, बुद्धि के भंडार भर लोगे लेकिन इससे जीवन-चर्या थोड़े ही बदल जाएगी। महावीर के पास देव आते थे या देवी, इससे हमें क्या? उनके बैठने से समवसरण रचते थे या चलने से उनके पांवों के नीचे स्वर्ण-कमल खिलते थे, इससे हमें कुछ भी लेना-देना नहीं है। देव आए होंगे, समवसरण रचे होंगे, स्वर्ण-कमल खिले होंगे। इससे महावीर की मानव हो महावीर /१५ www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.003962
Book TitleManav ho Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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