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निसोहि : मानसिक विरेचन की प्रक्रिया
__मैंने सुना है कि एक आदमी समुद्री मार्ग से पानी के जहाज में विदेशयात्रा के लिए चढ़ा। जहाज चल पड़ा। जहाज के चलते ही वह आदमी कप्तान के पास पहुंचा और कहा कि कैसे साहब पेट्रोल-डीजल सब बराबर ले लिया है। कप्तान ने कहा हाँ भाई, सब ठीक है। डीजल पूरा ले लिया है। तुम जाओ और अपनी कुर्सी पर बैठो। थोड़ी देर बाद वह आदमी फिर कप्तान के पास गया और कहा कि साहब मशीन वरह तो सब ठीक है ? कप्तान आखिर झंझला उठा। उसने कहा कि सब ठीक-ठाक है। ये सब काम हमारा है। तुम क्यों चिन्ता करते हो। तुम तो इस जहाज के कप्तान नहीं हो। यात्री हो यात्रा करो। वह आदमी बोला, साहब ! अभी तो आप गुस्सा करते हैं। लेकिन जब जहाज बीच रास्ते में कहीं खराब हो जाये तो मुझे यह मत कहना कि जरा नीचे उतर कर जहाज को धक्का लगाओ। क्योंकि मैं जितनी बार टैक्सी और बस में चढ़ा हूं, मुझे रास्ते में धक्के देने पड़े हैं।
तो लोग भी जब मन्दिर जाते हैं, तो वे भी उसे घर की तरह समझ लेते हैं। कहां टैक्सी-बस और कहाँ जहाज ! कहाँ गृहस्थ में रचा पचा घर और कहाँ मन्दिर । दोनों में कोई तुलना नहीं। जहाज में मन्दिर में जाते हैं तो वहाँ टैक्सी-बस और नीचे उतरकर धक्का लगाने की बात मात्र पामलपन है। इसीलिए मन्दिर में भी वह पागलपन भड़केगा, नीचे उतरकर जहाज को धक्का लगाने जैसा ।
सच्चा निसीहि न होने के कारण, सच्चा विरेचन न हो पाने के कारण आदमी मन्दिर में जाकर परमात्मा का ध्यान करता है, परन्तु जैसे ही परमात्मा का ध्यान करने बैठा, वैसे ही परमात्मा की प्रतिमा और छबि तो मनोदृष्टि से हट जायेगी और उसके मन में वही घिसे-पिटे पुराने सड़ियल विचार आने शुरु हो जाएंगे। एक के बाद एक, लगातार । एक भेड़ के पीछे दूसरी भेड़, भेड़चाल की तरह । इतने विचार पहले कभी नहीं कौंधे, जितने इस समय कौंधते हैं । कभी बीबी-बच्चे याद आयेंगे, तो कभी कोई रूप सम्पन्न पुरुष-स्त्री याद आयेंगे तो कभी बाजार व्यवसाय । कारण, निसीहि तथा विरेचन वस्तुतः नहीं हो पाया। भला जो व्यक्ति बिना टौर्च लिये अन्धेरे कमरे में जाएगा, तो वह ठोकर खाएगा ही। टॉच जलाओ, अन्धेरा स्वतः साफ। निसीहि बस ऐसे ही है।
___ मैंने सुन रखा है कि एक आदमी को टी. वी. खराब हो गयी। उसे ठीक कराने के लिये वह रिपेयरर के पास ले गया। कहा कि मेरा टेलीविजन खराब हो गया है। यह चलता ही नहीं। इसे ठीक कराना है। कितना रुपया लोगे ? रिपेयरर ने कहा, बाबु ! रुपये पैसे का सवाल तो बाद में, पहले यह मालूम पड़े कि खराबी क्या है। रिपेयरर ने जैसे ही टेलीविजन खोला तो देखा कि उस टेलीविजन के डिब्बे में पांच-सात चहिया मरी हुई है। चूहियों की गन्दगी भी भीतर पड़ी है। रिपेयरर को लगा कि इस टेलीविजन में केवल सफाई की जरुरत है, और कुछ खराबी नहीं। उसने सफाई कर दी। टेलीविजन शुरु किया और टेलीविजन चल पड़ा।
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