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चमत्कार : एक भ्रमजाल
जब महावीर सात-आठ वर्ष के हो गये, एक दिन खेल रहे थे उन्होंने एक सर्प को आते देखकर उसे पकड़ लिया और उछालकर दूर फेंक दिया। लोगों ने सोचा यह चमत्कार है। लेकिन यह चमत्कार नहीं, महावीर स्वामी की निडरता का प्रतीक है साधना के लिये महाबीरत्व को पाने के लिये साहस की जरुरत है, निडरता की जरूरत है। इसे चमत्कार मानना भारी भूल है। साहसी निडर और महावीर व्यक्ति ही साधना कर सकते हैं—यह तो इस बात का परिचायक है।
इन्द्र ने ब्राह्मण का रूप धारण कर महावीर स्वामी से पाठशाला में कई प्रश्न पूछे। महावीर के गुरु स्वयं आश्चर्यचकित हो रहे थे कि छोटा सा बच्चा कैसी-कैसी बातें बता रहा है, लेकिन इन्द्र को कोई आश्चर्य ही नहीं था। क्योंकि वह तो महावीर की ज्ञान-शक्ति के बारे में जानता था । इन्द्र ने तो सारी बात खुलासा कर दी। लोगों को यह चमत्कार लग रहा था तो इन्द्र ने बताया यह चमत्कार नहीं महावीर का निजी ज्ञान है। ये ज्ञान के धनी हैं।
महावीर तीस वर्ष की उम्र में साधु बन गये थे। चलते हुए जब आगे बढ़े साधना करने के लिये तो एक ग्वाले ने उनके कानों में कीलें ठोकी. लेकिन महावीर कोई चमत्कार न दिखा सके। उनके पास बहुत ज्ञान था, बहुत शक्ति थी, तीर्थकर की शक्ति थी किन्तु फिर भी वे चमत्कार न दिखा सके। यह घटना तो महावीर को अन्तर-ऊर्जा के विकसित करने में सहायक बनी। सहनशीलता और सहिष्णुता का यह अद्वितीय प्रसंग है, विश्व-दर्शन में ।
चण्डकौशिक वाली घटना में कहते हैं हम कि यह बहुत बड़ा चमत्कार है, लेकिन मैं इसे चमत्कार नहीं मानता। चण्डकौशिक भगवान महावीर को एक बार दो बार, तीन बार डॅसता है। चण्डकौशिक जिसकी फुफकार से सारा जंगल नष्ट-भ्रष्ट हो जाता था, उसकी तीन-तीन फुफकारों से भी महावीर को कुछ भी नहीं हुआ उल्टे महावीर के अंगूठे से खून की जगह दूध बहा। आप इसे आश्चर्य मानेंगे, चमत्कार मानेंगे। लेकिन मैं इसे न तो आश्चर्य मानता हूं और न ही चमत्कार।
दिल्ली की बात है। एक बार एक डा. मेरे पास आये, डा० जैन ही थे। उन्होंने मुझे कहा कि भगवान महावीर के जीवन में चण्डकौशिक और दूध बहने की जो घटना है, क्या आप उसमें विश्वास रखते हैं ? मैंने कहा बिल्कुल रखता हूं। उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है ? आप मनुष्य के शरीर से कही से भी दूध निकालकर बता दीजिये, तब हम मानेंगे कि यह सत्य है। हम मान लेंगे कि चण्डकौशिक ने डंसा था और महावीर के अंगूठे से दूध प्रवाहित हुआ था। मैंने अमेरिका, जापान, इग्लैंड सब जगह भ्रमण किया है और बड़े बड़े आपरेशन किये है, देखे हैं, लेकिन कहीं भी किसी भी आपरेशन को करते समय मुझे शरीर में दूध नहीं मिला। तब महावीर स्वामी के शरीर से दूध कैसे निकल गया ?
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